सर्दियों के इस गुलाबी मौसम में
इतराती हरसिंगार की खुशबू ने
आज यादों को फिर से महका दिया..
बचपन में मेरी ऊचाई बेले के पौधे
इतराती हरसिंगार की खुशबू ने
आज यादों को फिर से महका दिया..
बचपन में मेरी ऊचाई बेले के पौधे
से कम हुआ करती थी
जो गर्मीयों में अपनी महक से
आंगन में कूदता घूमता था..
पर इस कम ऊचाई की वजह सें
मैं आसमान से बरसते और नाचते सपनों जैसे
हरसिंगार के फूलों को देख पता था ,
जिन्हे ज़्यादा ऊचाई वाले
कभी भी नही देख पाए थे..
जो गर्मीयों में अपनी महक से
आंगन में कूदता घूमता था..
पर इस कम ऊचाई की वजह सें
मैं आसमान से बरसते और नाचते सपनों जैसे
हरसिंगार के फूलों को देख पता था ,
जिन्हे ज़्यादा ऊचाई वाले
कभी भी नही देख पाए थे..