Tuesday, March 26, 2013

ऐसी भी क्या हड़बड़ ..

ना होली का हुल्लड़ हैं अब
ना है भांग का कुल्लड़ ..
फिर भी हैप्पी होली कह लो
ऐसी भी क्या हड़बड़ ..
बीबीएम और फेसबुक को
छोड़ के घर से निकलो
और ज़िन्दगी के रंगो को
अब तो यारो चख लो ..
बॉस से बोलो छोड़ो बाबू
पैसा ब्लैक एण्ड व्हॉइट
रंग गुलाल लगा के भईया
हो जाओ अब टाइट
ना होली का हुल्लड़ हैं अब
ना है भांग का कुल्लड़ ..
फिर भी हैप्पी होली कह लो
ऐसी भी क्या हड़बड़ ..

Monday, March 11, 2013

दो टुन्ने से घुन.


दाल के डिब्बे में देखे ...
दो टुन्ने से घुन..
खाने मशगूल बड़े थे...
मस्त थी उनकी धुन ..
दाल दाल थी
पात ना एक भी..
दिन था पूरा
रात ना एक भी..
बोले ये इंसान अजूबे
क्यों रोटी के चक्कर में आते हैं..
क्यों नहीं ये शर्मा जी
केवल दाल से काम चलाते हैं,,
शर्मा जी गुस्सा के बोले..
दाल कहाँ से खाऊगा.
तुम से एक बार बचा भी लूं
सरदार से कैसे बचाऊंगा ??

Sunday, March 3, 2013

बचपन के ऑटो का मीटर आओ कर लें डाउन


बचपन के ऑटो का मीटर
आओ कर लें डाउन...
विलेज की भाषा में इठलाएं
छोंड के नकली टाउन...

इटरवल ले फेक वर्ल्ड से ..
खोले लाइफ़ का बस्ता ..
हटा के नूड्ल बर्गर फीके..
खाएं सौंधा खस्ता..

इंक्रीमेंट को गोली मारें
पीपरमिंट चबाएं..
फाड़ फेंक के दुनियादारी..
कर्री पतंग उड़ाए..

खोल के फेकें ब्राण्डेड जूते
तलवो को घास छुवाएं..
अमब्रेला को बंद करें
मेहनत से बदन तपाएं..

हाइजीन और अनटच भूले
माटी को थोड़ा खाएं..
गंगा के पानी में जाके
डाइविंग करके आएं..

बचपन के ऑटो का मीटर
आओ कर लें डाउन...
विलेज की भाषा में इठलाएं
छोंड के नकली टाउन...

हू तू तू


हू तू तू , हू तू तू
खेल ज़िन्दगी , वतन कबड़्डी
फेकों किताबो , गिनो तुम गड्डी..

कत्ल करेगे किरदारों का
रंगो को कर देगे कैद..
अखबारो की चिता जला के...
अ ब स में करेगे भेद ..

हू तू तू , हू तू तू

सबके मूह पे गोंद लगा के..
खुद का राग सुनाएगें..
दौ कौड़ी की इतिहास पुस्तिका
को भूगोल बताएंगे...

हू तू तू , हू तू तू

सच वो है जो  बिकता है..
चमचे से पापड़ सिकता है..
प्रेस से कपड़े कलफ़ लगा के..
खबरो से चमकाएंगे..

हू तू तू , हू तू तू
खेल ज़िन्दगी , वतन कबड़्डी
फेकों किताबो , गिनो तुम गड्डी..


तुम तो कहते थे..


तुम तो कहते थे..

केवल ढ़ाई लफ्ज़ चाहिए.

फिर ये गेहूं की बाली से अब,

क्यों नापते हो ज़िन्दगी ?