Tuesday, June 25, 2013

तारीखें याद रखने की आदतें बेकार

तारीखें याद रखने की आदतें बेकार
तारीखें याद रखेगी अब तुझको मेरे यार..
गर तू निशान कर देगा भगत सा नाम को..
हो खुद लहूलुहान , उठा दे वतन की शान को..
कर दे कलम गिद्दों के सर, कर दे एक वार..
लफ्ज़ो की शमशीर की पैनी कर के तीखी धार..
ना करना तू अब लिहाज़ सफेद पोशगी का..
बस सुनना तू अपनी भारती की दर्दीली चित्कार...
तारीखें याद रखने की आदतें बेकार
तारीखें याद रखेगी अब तुझको मेरे यार..

-  आकाश पांडेय 31 दिसम्बर 2012 , मुम्बई

हीरो

पहाड़ में फंसी राधा ने मां से पूछा - अम्मा रेडियो पे सुना ईंडिया
जीत गई ,जो खेल रहे थे उन्हे एक करोड़ रुपिया मिला , 

मां बोली ‌हां बेटी सरकार कहती है वो देश के लिए खेल रहे थे..इसलिए .

राधा आसमान में हैलीकॉप्टर से लटकते जवान को देख के बोली.
- अम्मा क्या इन्हे भी मिलेगा एक करोड़ ?

मां बोली -ना बेटा हमारे यहां बल्ले से खेलने वाले को ईनाम मिलता है
जान से खेलने वाले को नहीं..वो खिलाड़ी उनके लिए असली हीरो है .

राधा बोली - असली हीरो -जैसे सारुख -सलमान..??

दौरा

राधा आज भी आसमान को ताक रही थी ,
कि शायद कोई हैलीकॉप्टर से आएगा और उसे ले जाएगा 
मां बोली बेटा ये लेने नहीं आए , ये तो दौरे पे आये हैं... 
राधा बोली – दौरा ?? जैसे वो बूढे बाबा को पड़ा था 
दिल का दौरा , जब उसकी औरत पानी में बह गई थी... 
मां बोली -नहीं बिटिया , इनको तो गद्दी के लालच का दौरा पड़ा है... 
दिल का दौरा तो दिल वालो को पड़ता है.. 
अम्मा देखो एक और आया इसपे तो हाथी बना है... 
और राधा फिर से एक नए हैलीकॉप्टर के पीछे भाग गई..

Wednesday, June 19, 2013

हैलो कोई है ??

साहब सैलाब का आसमानी जायजा ले रहे थे , 
बोले बहुत नुकसान हो गया - मेबी १००० सी आर . 
उदारीकरण में मिला पेप्सी का कैन खोला दो घूट में 
खाली कर के हेलीकॉप्टर से बाहर फेक दिया .

तीन रोज़ से बाढ़ में भूखी राधा ने दौड़ उसे के कैच किया . 
माँ बोली - कुछ न मिलेगा इसमें , ये मादरजात हमेशा खाली ही 
फेकते है हमारे हिस्से . क्या करेगी तू इसका ?? 

राधा बोली माँ इस डिब्बे से टेलीफोन बनाऊगी . 
देखना उससे सरकार मेरी आवाज़ सुन लेगी . 
ऊपर उड़नखटोले में मैडम ने कहा
 - बाई द वे सिंह मौसम इस औसम हियर … 

राधा इधर आपने पेप्सी के कैन से बने 
टेलीफोन पे बोली - हैलो कोई है ??

Monday, June 17, 2013

शेल्फ मे खोजता रहा

मै उन किताबो को शेल्फ मे खोजता रहा 

और वो करती रही ज़िन्दगी में इन्तज़ार.
मैंने पूछा कहाँ थी ,कितना खोजा तुम्हे
वो बोली - और मै खोज रही थी तुम्हे
इन चार दीवारी के बाहर..
अपने बचे कोरे कागज़ो के साथ
तुम्हारे इन्तज़ार में.

Thursday, June 6, 2013

उतना ही इन्तजार

सुना है उन्हे बारिश का आज भी
उतना ही इन्तजार रहता है .
वो आसुओं से  सीली डायरी  के दागो  
को यादों से भीगा के छुपा  लेते है ..
बारिश  में खड़े हो के वो ..
मुस्कुरा के आसू बहा लेते है…
सुना है  उन्हे बारिश का आज भी

उतना ही इन्तजार रहता है .