तारीखें याद रखने की आदतें बेकार
तारीखें याद रखेगी अब तुझको मेरे यार..
गर तू निशान कर देगा भगत सा नाम को..
हो खुद लहूलुहान ,
उठा दे वतन की शान को..
कर दे कलम गिद्दों के सर, कर दे एक वार..
लफ्ज़ो की शमशीर की पैनी कर के तीखी धार..
ना करना तू अब लिहाज़ सफेद पोशगी का..
बस सुनना तू अपनी भारती की दर्दीली चित्कार...
तारीखें याद रखने की आदतें बेकार
तारीखें याद रखेगी अब तुझको मेरे यार..