अब वो वतन के ख्वाब नही देखता
ना खौलता है खून में इंकलाब
ना देता है जुल्म को कोई जवाब
हर ओर बिछे है बाज़ारो के ख्वाब
ब्रांडो के स्टीकर चिपके है लबों पें
चमकते बोर्डो से छुपा है आफताब
अब वो वतन के ख्वाब नही देखता
ना खौलता है खून मे इंकलाब