Thursday, October 29, 2015

फसल

तेरे ख्वाबो में ना जाने कब सुबह हो गई..
रातें भर तेरे नाम की फसल है बोई.
उगाता हूँ तेरा नाम , बोता भी हूँ .
सीचता हूँ जिगर से .. पर काटता है कोई ..

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