तेरे ख्वाबो में ना जाने कब सुबह हो गई.. रातें भर तेरे नाम की फसल है बोई. उगाता हूँ तेरा नाम , बोता भी हूँ . सीचता हूँ जिगर से .. पर काटता है कोई ..
No comments:
Post a Comment