Thursday, January 25, 2018

लफ्ज़

आओ कुछ लफ्ज़ बिखेरे.
ले ले जज़्बातों के फेरे..
सर्दी में खटिया पे सुखाए
या फिर आचल में काढ़े उकेरे ..
इन्हे कैनवास पे सजाए चितेरे
कुछ रेशमी , कुछ कपासी ,
कुछ तेरे कुछ मेरे ..
आओ कुछ लफ्ज़ बिखेरे.
ले ले जज़्बातों के फेरे..

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