अफ़साने कुछ अनजाने, और गीत पुराने लाया हूँ.... आज तुम्हारी बातों से मैं लफ़्ज़ चुराने आया हूँ.
Friday, September 4, 2015
तख्तियाँ
वो एहसान भूल के गिन रहे है फब्तियां..
दोस्ती की कब्र पे जड़ रहे है तख्तियाँ
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