Sunday, April 21, 2013

अब राधा को छोड़ के उपवन कुरूक्षेत्र में जाना होगा


अब राधा को छोड़ के उपवन
कुरूक्षेत्र में जाना होगा .
काट के दु:शासन के सिर को
काली सा गुर्राना होगा
नही चाहिए मुरली की धुन
ना ही भौरों की गुंज़न
एक कटार पैनी सी लेके
करना है श्वानों का मर्दन
अब राधा को छोड़ के उपवन
कुरूक्षेत्र में जाना होगा  

Tuesday, April 9, 2013

ब्रह्म नाद


अब खोल शिखा फिर
धनानंद के सर्वनाश की बारी है
अब जनेऊ की टंकार से
थर्रानी धरती सारी है ..
फिर से सुलगानी आग हमें
दहकानी फिर चिंगारी है
अब तिलक लगा के लाल तुझे
करना है मर्दन गर्दन का
फिर से गुलाम होने ना दे
माँ आज ज़ोर चित्कारी है
अब खोल तीसरा नेत्र हमें
हर  भ्रष्ट भस्म करना होगा
ब्रह्म नाद के साथ हमें
कपट विध्वंस करना होगा
भृकुटी के गांडीव चढ़ा
छल छेद छेद करना होगा
अब विष खुद ना पी कर के
उन्हे ज़हर करना होगा
रोम रोम कापेगे वो
जननी फिर हुकारी है
अब खोल शिखा फिर
धनानंद के सर्वनाश की बारी है
अब जनेऊ की टंकार से
थर्रानी धरती सारी है .. 

Sunday, April 7, 2013

नीम का एक पेड़ था


नीम का एक पेड़ था
मेरे घर के सामने..
मैं सोचता था अक्सर कि
ये जड़े अपनी तोड़ कर
गिर पड़ेगा कुछ दिनों में
ये दरख्त अगले मोड़ पर..
पर मगर आज भी वो
कायम है पुश्ते देख कर.
और हम पड़े है यहाँ
जड़ों को अपनी छोड़ कर
पिछ्ले बरस वो आंगन मेरा
बेच दिया पिछली पुश्त ने..
और हम जीते पड़े हैं..
दो कौड़ी की किश्त में...

एक मेहमान था


ये सोचता था जानता हूं सब ,
बड़ा अनजान था.
ज्ञान के सागर में मैं तो ,
बस एक मेहमान था..

अब बड़ा हो गया हूं..


कुछ सवाल पिन कर दिए थे ,
बचपन की कॉपीयों में..
सयानेपन के इंतज़ार में..
लगता है कि अब बड़ा हो गया हूं..
पर ना जाने क्यों
अब सवाल नहीं उगते ?

डोंट लाइक राधाज़ पेज


काहे किया कान्हा दिल को मोरे हैक.
डोंट लाइक राधाज़ पेज , वो तो है फेक..
तोहरे ट्वीट पे है फालोअर हज़ार..
एक बार कमेंटिया तो स्टेट्स पे हमार.
बासुरी की धुन हो गई पाईरेट तोहार.
गोपी एड होने को समझत है प्यार.
काहे किया कान्हा दिल को मोरे हैक.
डोंट लाइक राधाज़ पेज , वो तो है फेक..

एक चुस्की तन्हाई


एक चुटकी बचपन मिल जाए
एक चुस्की तन्हाई ..
भीड़ बड़ी है इन गलियों में
गैर हुई परछाई !!

कुछ छूटे से लफ्ज़


पेंसिल के डिब्बे में निकले
कुछ छूटे से लफ्ज़
मिटा दिए थे ईरेज़र से ,
बढ़ा रहे थे नब्ज़ ..
बर्बादी थे टाइम की सारे
पोशम पा भई खेलो प्यारे
कपंट छोड़ , कपट अपनाओ...
बिन कनकौवा , पेच लड़ाओ..
कम्पटीशन के लेके कैची
भोलेपन की नाक कटाओ
छोड़ के अबे तबे अउर साले.
ओ फक ओ शिट अब अपनाओ
ईरेज़र लेके अब भईया..
इन लफ्ज़न की वाट लगाओ.
पेंसिल के डिब्बे में निकले
कुछ छूटे से लफ्ज़
मिटा दिए थे ईरेज़र से ,
बढ़ा रहे थे नब्ज़ ..

पतझड़


अब तो पत्तो ने भी खुद को सुखा कर
नये कल्लो को दे दी है जगह
क्या ये पतझड़
इंसानो को बदल पाएगा

धत्त तेरे की छोड़ के भईया


धत्त तेरे की छोड़ के भईया
ओ शिट ओ फक बोले
हैट लगा के , बड़ा जमा के
चश्मे को गागल बोले..
बीड़ी अब हो गई है लाइट
पैसे बग कहलाते है
बड़े मज़े से रोज़ सेवेरे
बेड टी खूब उड़ाते है ..
ये सन कितना अर्ली आता
डाउन मार्केट लाइफ को टाटा
जय राम – दुआ सलाम छोड़ के
सीधे गले लगाते है ..
कह के बाई स्लो लाईफ को..
लोकल में झटके खाते हैं  
धत्त तेरे की छोड़ के भईया
ओ शिट ओ फक दुहराते हैं...