Thursday, October 29, 2015

फसल

तेरे ख्वाबो में ना जाने कब सुबह हो गई..
रातें भर तेरे नाम की फसल है बोई.
उगाता हूँ तेरा नाम , बोता भी हूँ .
सीचता हूँ जिगर से .. पर काटता है कोई ..

Monday, October 19, 2015

जी नहीं हम सनसनी से है



भारत की आजादी की पहली लड़ाई 
अर्थात् १८५७ के विद्रोह की शुरुआत 
मंगल पाण्डेय से हुई जब 
गाय व सुअर कि चर्बी लगे कारतूस लेने से 
मना करने पर उन्होंने विरोध जताया..  
सभी चैनल उनके पास पहुच गए.. 
पाण्डेय जी आप सेकुलर है या .. कम्युनल ?  
पाण्डेय जी सोच में पड गए ? 
बोले मैं वतन के बेटा हूँ ? 
चैनल ; वो किस पार्टी में थे ? 
पाण्डेय जी मुस्कुराए बोले :  आप CNN से है क्या ?  
चैनल बोले जी नहीं हम सनसनी से है .
© आकाश पाण्डेय

Wednesday, October 14, 2015

हम चाँद पर लिखते रहे

हम चाँद पर लिखते रहे मान कर उसको सनम 
और वो नासा के सेटेलाइट से नैना मिलाता रहा
फिर सोचा पा के मंगल को , तुझसे बेवफ़ा हो जायेगे 
कुंडली बनवा के अब मगली हो जायेगे... 
- © आकाश पाण्डेय

Friday, October 9, 2015

गाय - आकाश पाण्डेय

गाय सोच रही है काश वो काला हिरन होती
या होती "सेव दी टाइगर" वाली शेर..
या कोई सफ़ेद बुलबुल ..
वो तो गाय है ..
काश उसके पास वोटर आई कार्ड होता
या वो होती राणा , नानक , जीजस, हुसैन
या शिवाजी की कहानी का हिस्सा ..
काश वो कश्मीर होती ..
या होती नौकरी जिसके
आरक्षण के लिए सब लड़ते
पर वो तो
अमूल का फूल क्रीम का पैकेट है
और वो है पनीर का टुकड़ा
वो तो माँ है
जिसे दिवाली पे
मैसेज भेज के हम छुटकारा पा लेते है
"हैप्पी दिवाली मॉम"
- आकाश पाण्डेय