पेंसिल
के डिब्बे में निकले
कुछ
छूटे से लफ्ज़
मिटा
दिए थे ईरेज़र से ,
बढ़ा
रहे थे नब्ज़ ..
बर्बादी
थे टाइम की सारे
पोशम
पा भई खेलो प्यारे
कपंट
छोड़ , कपट अपनाओ...
बिन
कनकौवा , पेच लड़ाओ..
कम्पटीशन
के लेके कैची
भोलेपन
की नाक कटाओ
छोड़
के अबे तबे अउर साले.
ओ
फक – ओ शिट अब अपनाओ
ईरेज़र
लेके अब भईया..
इन
लफ्ज़न की वाट लगाओ.
पेंसिल
के डिब्बे में निकले
कुछ
छूटे से लफ्ज़
मिटा
दिए थे ईरेज़र से ,
बढ़ा
रहे थे नब्ज़ ..
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