अफ़साने कुछ अनजाने, और गीत पुराने लाया हूँ.... आज तुम्हारी बातों से मैं लफ़्ज़ चुराने आया हूँ.
Sunday, April 7, 2013
पतझड़
अब तो पत्तो ने भी खुद को सुखा कर
नये कल्लो को दे दी है जगह
क्या ये पतझड़
इंसानो को बदल पाएगा
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