अफ़साने कुछ अनजाने, और गीत पुराने लाया हूँ.... आज तुम्हारी बातों से मैं लफ़्ज़ चुराने आया हूँ.
Thursday, September 17, 2009
कहने को कुछ बात नहीं है...
लिखने को जज़्बात नहीं हैं..
कहने को कुछ बात नहीं है...
मन की हलचल गुमसुम गुपचुप..
शब्द समन्दर पास नहीं हैं.
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