अफ़साने कुछ अनजाने, और गीत पुराने लाया हूँ.... आज तुम्हारी बातों से मैं लफ़्ज़ चुराने आया हूँ.
Wednesday, May 5, 2010
सुना है शहर में चाँद कई निकल आए हैं
सुना है शहर में चाँद कई निकल आए हैं ,
जो सूरज की रोशनी से दमकते है....
उनमें खुद का कुछ भी नहीं है
फिर भी वो खुद पर कविताएं लिखवाते हैं,
कसीदे गढ़वाते है....
लेकिन जब सूरज निकलता है
वो सब उल्लू , सांपो और सियारों के साथ ,
तमस में छुप जाते हैं..
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