अफ़साने कुछ अनजाने, और गीत पुराने लाया हूँ.... आज तुम्हारी बातों से मैं लफ़्ज़ चुराने आया हूँ.
Thursday, May 6, 2010
किस्सों की किश्ती
किस्सों की किश्ती, ले चलो सफर पर ..
चांद निकला हो जहां , मामा फिर बन कर ...
हीरमन तोता खाकर के मिर्ची ,..
बोले मीठी बतिया ,कानों में मधुर सी ...
बचपन हो सबमें , हो भोलापन भी ...
ना हो कोई भाषा,न सीमा वतन की.
February 5 at 12:28pm
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