अफ़साने कुछ अनजाने, और गीत पुराने लाया हूँ.... आज तुम्हारी बातों से मैं लफ़्ज़ चुराने आया हूँ.
Thursday, May 6, 2010
सुहानी पीली छतरी के साथ
आसमान में है नज़र ..
और तलवों के नीचे गीली रेत....
लहरें की तरह ज़िंदगी आती हैं ..
और लौट जाती हैं...
बीते लम्हे ... और आने वाला कल,
बीच में आकाश पूरब से आते
यादों के मन्द मन्द झोकों के साथ ,
फिर खड़ा है उन हवाओं के,लहरों के,फुहारों के इंतज़ार में..
.....सुहानी पीली छतरी के साथ
.
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