अफ़साने कुछ अनजाने, और गीत पुराने लाया हूँ.... आज तुम्हारी बातों से मैं लफ़्ज़ चुराने आया हूँ.
Friday, May 7, 2010
गाएगें कोरस उमर भर .
एक परदा फिर खुलेगा, निकेलगा सूत्रधार ...
और कलम की नोक से उगेगा , दोबारा एक नया किरदार...
शब्द पैने तीर से छूटेगे फिर , भेदने को सच - खबर ....
और बन तलवार हम , गाएगें कोरस उमर भर ....
(सभी रंगकर्मीयों को समर्पित)
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