Thursday, May 6, 2010

हिन्दी लोकोक्तियाँ एवं मुहावरे

सांच को आंच नहीं

सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप
एक सुनार की सौ लोहार की
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे
नाच न आये आंगन टेढ़ा
न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी
लकीर का फकीर
चैन की नीद सोना ।
आये थे हरि भजन को , ओटन लगे कपास ।
जब भगवान देता है तो छप्पर फ़ाड के देता है ।
जो गरजते हैं वो बरसते नहीं ।
अपने मुँह मिया मिट्ठू बनना ।
सौ सोनार की, एक लोहार की ।
अधजल गगरी, छलकत जाय ।
खरबूजे को देखकर तरबूजा रंग बदलता है ।
चोर-चोर मौसेरे भाई ।
एक तो चोरी , दूसरे सीनाजोरी ?
सैंया भये कोतवाल , अब डर काहे का ।
नौ नगद न तेरह उधार ।
सावन के अंधे को हरा ही हरा दीखता है ।
पूत कुपूत त का धन संचय , पूत सुपूत त का धन संचय ।
मियाँ की दौड मसजिद तक ।
अंधा क्या चाहे, दो आँखें ।
खरबूजे को देखकर तरबूजा रंग बदलता है ।
जैसी करनी , वैसी भरनी ।
जैसा राजा वैसी प्रजा ( यथा राजा तथा प्रजा )
नेकी कर, दरिया मे डाल ।
दाल में काला होना ।
जैसे उधौ, वैसे माधव ।
बहती गंगा में हाथ धोना ।
उलटी गंगा बहाना ।
चलती का नाम गाडी ।
चोरी का धन मोरी में जाता है , सूम का धन सैतान खाता है ।
एक-एक ग्यारह होते हैं ।
नौ-दो-ग्यारह होना ।
तीन-पाँच करना ।
खरबूजे को देखकर तरबूजा रंग बदलता है ।
जैसी करनी , वैसी भरनी ।
जैसा राजा वैसी प्रजा ( यथा राजा तथा प्रजा )
नेकी कर दरिया मे डाल ।
दाल में काला होना ।
घी के दिये जलाना ।
जले पर नमक छिडकना ।
हवा से बातें करना ।
पानी-पानी होना ।
उल्टे बाँस बरेली को ।
मियाँ की जूती मिया के ही सिर पर ।
आम के आम , गुठलियों के दाम ।
आगे कुआँ , पीछे खाई ।
रमता जोगी, बहता पानी ।



ऊँट के मुँह मे जीरा ।
अब पछिताये क्या भया , जब चिडिया चुग गयी खेत ।
साँप मरे, ना लाठी टूटे ।
साँप को दूध पिलाना ।
आस्तीन का साँप होना ।
दान की बछिया के दाँत नहीं गिने जाते ।
कुत्ते की मौत मरना ।
धोबी का कुता , न घर का न घाट का ।
चाम की थैली , कुक्कुर रखवार ।
कुत्ते की पूँछ कभी सीधी नहीं होती ।
घर की मुर्गी दाल बराबर |
कूप मण्डूक
घोडे बेचकर सोना ।
हाथी के दाँत , खाने के और दिखाने के और ।
घडियाली आँसू बहाना ।
भैंस के आगे बीन बजाना ।
भेंड चाल चलना ।
तेली का बैल होना ।
सोने की चिडिया ।
दूध से जली बिल्ली मट्ठा भी फूँक-फूँक कर पीती है ।
सौ-सौ चूहे खाय बिल्ली हज को चली ।
तूती बोलना ।
जल में रहकर मगर से बैर करना ।
बिल्ली के श्रापने से छींका नही टूट्ता ।
तोते की तरह रटना ।
मुर्गा नहीं रहेगा तो क्या सबेरा नही होगा ?
बिच्छू का मन्तर पता नहीं और साँप के बिल मे हाँथ डाले ।
अक्ल के घोडे दौडाना ।
जंगल में नाचा मोर , किसने देखा ?
बंदर घुडकी देना ।
खोदा पहाड, निकली चुहिया ।
ऊँट के मुह में जीरा ।
हाथी चला जाता है, कुत्ते भौंकते रहते है ।
अपना उल्लू सीधा करना ।
कान पर जूँ रेंगना ।
कलेजे पर साँप लोटना ।



अक्ल के अंधे ।
दाहिना हाँथ होना ।
मुह की खाना ।
मुह में पानी आना ।
मुह फ़ेरना ।
मुह पर कालिख पोतना ।
हाथ-पाँव फ़ूलना ।
पेट फूलना ।
थूककर चाटना ।
तलवे चाटना ।
एडी चोटी का जोर लगाना ।
लार टपकना ।
हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या |
मुख में राम, बगल में छुरी |
आँख का अंधा, नाम नयनसुख |
अंधा क्या चाहे, दो आँखें ।
आँख में धूल झोंकना ।
आँख की किरकिरी होना ।
आँख की किरकिरी होना ।
आँख दिखाना ।
नाक कटवाना ।
पीठ दिखाना ।
पीठ मे छुरा भोंकना ।
छाती चौडी होना ।
सिर मुडाते ही ओले पडना ।
सिर पर पैर रखकर भागना ।
सर कुचलना ।
सिर ऊँचा करना ।
सर हथेली पर लेकर काम करना ।
हाथ बटाना ।
उंगलियों पर गिनना ।
लात मारना ।
कौडी के मोल बेचना ।
घास छीलना ।
जूते घिसना ।
का वर्षा जब कृषि सुखानी ।
सूरदास की काली कमरिया, चढै न दूजा रंग ।
आग लगने पर कुंआ खोदना ।
आग मे घी डालना ।
नौ नगद न तेरह उधार ।
उगते सूरज को सब पूजते हैं ।
डूबते को तिनके का सहारा ।

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