अफ़साने कुछ अनजाने, और गीत पुराने लाया हूँ.... आज तुम्हारी बातों से मैं लफ़्ज़ चुराने आया हूँ.
Thursday, May 6, 2010
महंगा होने वाला है
लोकतंत्र में निकली झांकी . फिर देखो मंहगाई की ...
लाल किले पर गूंज रही है , फिर झूठी शहनाई सी ....
दाल है दौलत सोने सी और दूध में कुछ तो काला है .....
और सुना है पेट्रोल भी फिर से , महंगा होने वाला है .
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