Thursday, May 6, 2010

यादों की छ्तरी

बारिशे कई आयीं.. और चली गयी...

झोके भी कुछ पतझड़ के चितेरे बन निकल गये,...

लेकिन अभी भी वो मौसम बाकी है

जिसमें यादों की छ्तरी हो.

और हो बचपन की फुहार...

कुछ बस के टिकट हो

और कुछ बीते त्यौहार...

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