अफ़साने कुछ अनजाने, और गीत पुराने लाया हूँ.... आज तुम्हारी बातों से मैं लफ़्ज़ चुराने आया हूँ.
Tuesday, May 11, 2010
ब्रम्हाण्ड
आकाश का आरम्भ और आधार मैं हूं खोजता ,
अविराम , अनंत , अद्भुत ,अतुल्य के विषय में सोचता.
कब था जन्मा ये गगन और कहाँ है इसका अंत ,
और न जाने कितने होगें इस अम्बर में सप्त संत.
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