Sunday, March 3, 2013

हू तू तू


हू तू तू , हू तू तू
खेल ज़िन्दगी , वतन कबड़्डी
फेकों किताबो , गिनो तुम गड्डी..

कत्ल करेगे किरदारों का
रंगो को कर देगे कैद..
अखबारो की चिता जला के...
अ ब स में करेगे भेद ..

हू तू तू , हू तू तू

सबके मूह पे गोंद लगा के..
खुद का राग सुनाएगें..
दौ कौड़ी की इतिहास पुस्तिका
को भूगोल बताएंगे...

हू तू तू , हू तू तू

सच वो है जो  बिकता है..
चमचे से पापड़ सिकता है..
प्रेस से कपड़े कलफ़ लगा के..
खबरो से चमकाएंगे..

हू तू तू , हू तू तू
खेल ज़िन्दगी , वतन कबड़्डी
फेकों किताबो , गिनो तुम गड्डी..


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