नवाब गंज की छोटी मस्जिद के बताशे ही लाना ,
ठाकुर जी के प्रसाद के लिए. दादी ने छोटू से कहा,
उन्ही में असली मिठास होती है,
नसीम बताशे वाला हर जन्माष्टमी को
खास दुकान लगाता है
जिनके रंग , झाकी मे सजने वाले खिलौनो
से भी ज़्यादा चटक होते है .
देखो दोपहर की अज़ान हो गयी है ,
12 बजने को आए ,
ठाकुर जी को नहलाने का वक्त हो गया है.
बरसों बाद , सुना कहीं कोई मस्जिद टूट गई है
छोटू लौट के आया , कुछ यादों के बताशे ले कर
लेकिन उन बताशो का भोग लगाने वाला कोई नहीं था
ना दादी, ना ठाकुर जी और न ही बचपन
ठाकुर जी के प्रसाद के लिए. दादी ने छोटू से कहा,
उन्ही में असली मिठास होती है,
नसीम बताशे वाला हर जन्माष्टमी को
खास दुकान लगाता है
जिनके रंग , झाकी मे सजने वाले खिलौनो
से भी ज़्यादा चटक होते है .
देखो दोपहर की अज़ान हो गयी है ,
12 बजने को आए ,
ठाकुर जी को नहलाने का वक्त हो गया है.
बरसों बाद , सुना कहीं कोई मस्जिद टूट गई है
छोटू लौट के आया , कुछ यादों के बताशे ले कर
लेकिन उन बताशो का भोग लगाने वाला कोई नहीं था
ना दादी, ना ठाकुर जी और न ही बचपन
ashok भाई क्या baat है..bhaavuk कर दिया..
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