वर्तमान में रहूं
या
यादों में मैं खाऊं गोते
आने वाले कल को बुन लू
मन ही मन में बाते गढ़ लूं
या
रहूं वर्तमान में ?
बचपन तो था रंग रगींला
चुरन ,कॉमिक पतंग और कंचे ,
गली , मोह्ल्ला ,आसमान वो नीला
कल को क्या बन जाऊंगा
आसमान छू जाऊंगा
मुठ्ठी में होगी सब दुनिया
फिर भी ज्ञानी कहते है
जिओ आज में , रहो आज में
प्रश्न यहीं है मेरे मन में...
वर्तमान में रहूं
या
कल और कल में कल-कल बह लूं ?
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