कब तक सहें,कुछ तो कहें .
कलम से या , धार से लफ्ज़ ,
धुन या झंकार से
ये देश धड़कन मांगता ..
क्यों नहीं तू ठानता ..
मत चुप रहो, कुछ तो कहो
कलम से या , धार से लफ्ज़ ,
धुन या झंकार से
शबद, अज़ान , गीता के सार से
क्रोध , आंसू ,प्यार से..
अब मत सहो , कुछ तो कहो....
(आकाश पाण्डेय , मुंबई , 3 जून ,2012)
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