बाज़ार
घाट देश है ..
ज़िन्दगी
उधार है..
घाट
अब उतार दो ,
गर
वतन से प्यार है .
धंधा
ही अब वतन की
आन
बन गया.
सोने
का भाव
शान-
बान बन गया ..
भाषा
और भूषा है
दो
कौड़ी अब बात..
ये
भूतिये है , इनसे
दे दो
देश
को निजात..
ना
धर्म की कोई बात है
ना
दीनो ईमान है.
औकात
नापने का बस
डॉलर
निशान है.
उड़ा
तो इस किताब को ,
गोलो
से दाग के..
बाज़ार
है सारे कोरे
साबुन
के झाग से..
बाज़ार
घाट देश है ..
ज़िन्दगी
उधार है..
घाट
अब उतार दो ,
गर
वतन से प्यार है .
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