Monday, February 11, 2013

घाट अब उतार दो



बाज़ार घाट देश है ..
ज़िन्दगी उधार है..
घाट अब उतार दो ,
गर वतन से प्यार है .
धंधा ही अब वतन की
आन बन गया.
सोने का भाव
शान- बान बन गया ..
भाषा और भूषा है
दो कौड़ी अब बात..
ये भूतिये है , इनसे दे दो
देश को निजात..
ना धर्म की कोई बात है 
ना दीनो ईमान है.
औकात नापने का बस
डॉलर निशान है.
उड़ा तो इस किताब को ,
गोलो से दाग के..
बाज़ार है सारे कोरे
साबुन के झाग से..
बाज़ार घाट देश है ..
ज़िन्दगी उधार है..
घाट अब उतार दो ,
गर वतन से प्यार है .

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