आओ थोड़ा थाम के वक्त को
जाती इन बूंदों का लुफ्त उठाएं
आओ थोड़ी देर छोड़ के दुनियादारी
क्यारी में नन्ही कॉमिके उगाएं .
आओ रेल सी ज़िंदगी से उतर के
घर के पालने में लोरी सुन आएं
आओ फेक के ये लोहे के सिक्के
मोती से आसूं कहीं चुन के आएं
आओ इन कुर्सीओं को हटा के किनारे
छोटी सी घासों का बिछौना बनाएं
आओ थोड़ा थाम के वक्त को
जाती इन बूंदों का लुफ्त उठाएं
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आकाश पाण्डेय – 16 अक्टूबर मुम्बई
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