Thursday, October 17, 2013

सब जान के भी कुछ ना कहना

सहना , चुप रहना,
सब जान के भी कुछ ना कहना 
ईएमआई , दहेज , पेंशन ,मिडल क्लास की बेड़ी 
और चार कन्धो का इंतज़ार करती बासं की सीढ़ी 
हम कैसे कुछ कहे ? 
हमारी नियती है कि हम सहें. 
वो नोट , वोट और दिल पे चोट का धंधा है.. 
हमें तो कुओं में  है रहना , सहना और चुप रहना,
सब जान के भी कुछ ना कहना 

- आकाश पाण्डेय , अक्टूबर 2013





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