अफ़साने कुछ अनजाने, और गीत पुराने लाया हूँ.... आज तुम्हारी बातों से मैं लफ़्ज़ चुराने आया हूँ.
Tuesday, August 25, 2009
कभी फुरसत कभी मसरूफियत
कभी फुरसत में मसरूफियत का इंतज़ार ....
तो कभी मसरूफियत में फुरसत के लिए बेकरार.
.
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment