Tuesday, August 25, 2009

ज़मी के टुकड़े

ज़मी के टुकड़े करना.....
जैसे करना आंचल को तार तार.....
माँ के दुखड़े को करना जैसे...
ढेरों असुअन से धार धार ....
सब भूल के ममता,प्यार इबादत..
करना रिश्तों पर वार वार...
गले लगो अब,मिल के रो लो...
खूब जगाओ प्यार प्यार..

No comments:

Post a Comment