अफ़साने कुछ अनजाने, और गीत पुराने लाया हूँ.... आज तुम्हारी बातों से मैं लफ़्ज़ चुराने आया हूँ.
Thursday, August 30, 2012
घड़ी
ये घड़ी क्यों है रुकी -रूकी..
दौर कब ये जाएगा....
कब समंदर दौड़ के..
कदमों को छूने आएगा ..
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