अफ़साने कुछ अनजाने, और गीत पुराने लाया हूँ.... आज तुम्हारी बातों से मैं लफ़्ज़ चुराने आया हूँ.
Wednesday, February 18, 2009
आभास - आकाश पाण्डेय
आकाश का विस्तार कितना गहन है
ये सोच कर आकाश आभास ये पाता है
कि तपती लू के बाद..
बारिश की ठंडी बूदों का अहसास
एक अवर्णित अनुभव बन पाता है...
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