Wednesday, February 18, 2009

लक्ष्य भी है

लक्ष्य भी है,बाण भी हैं
भेदना मैं चाहता हूँ
और अपने लक्ष्य की वेदना
को चाहता हूँ
एकलव्य बना खड़ा
द्रोण को तलाशता हूँ
पर अर्जुनों की फ़ौज से
मैं सदा ही हारता हूँ...
- आकाश पाण्डेय

3 comments:

  1. हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.

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  2. सुंदर अभिव्यक्ति. स्वागत.

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  3. ब्लोग जगत मे स्वागत
    कम शब्दो मे बहुत अच्छी कविता के लिए शुभकामनाएं
    भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
    लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
    कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
    मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
    www.zindagilive08.blogspot.com
    आर्ट के लि‌ए देखें
    www.chitrasansar.blogspot.com

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