लक्ष्य भी है,बाण भी हैं भेदना मैं चाहता हूँ और अपने लक्ष्य की वेदना को चाहता हूँ एकलव्य बना खड़ा द्रोण को तलाशता हूँ पर अर्जुनों की फ़ौज से मैं सदा ही हारता हूँ... - आकाश पाण्डेय
ब्लोग जगत मे स्वागत कम शब्दो मे बहुत अच्छी कविता के लिए शुभकामनाएं भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है। लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है । कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है । मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें www.zindagilive08.blogspot.com आर्ट के लिए देखें www.chitrasansar.blogspot.com
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ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति. स्वागत.
ReplyDeleteब्लोग जगत मे स्वागत
ReplyDeleteकम शब्दो मे बहुत अच्छी कविता के लिए शुभकामनाएं
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
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