Tuesday, February 17, 2009

रौशनी की पतंग - आकाश पाण्डेय

आज उड़ाओ
रौशनी की पतंग
ऊचें आसमान में


सजा दो
रिश्तों की रंगोली
हर दिलो जान में

ख्वाब भी
खेलेगे आज
खूब मेहताब से

जल उठेगें
दिये दिल के
रौशन आफ़ताब से

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